Poetry - Ham kyu itna rang jate hai
कविता - हम क्यों इतना रंग जाते हैं
रंगों की इस वर्षा में ,
रंग कर हम क्यों हम रोते है |
सपनो के इस संग में ,
सपनो के इस संग में ,
सपनो को क्यों ठुकराते है ||
फिर सपनों के इस मोड़ को ,
हम पीछा क्यों छोड़ देते हैं |
यादों की इस लहरों में
हम इतना क्यों खो जाते हैं
फिर यादों की इस रंग में
फिर यादों की इस रंग में
हम इतना तो रंग जाते हैं||
यादों के इस संसार को ,
हम चाह कर भी क्यों नहीं छोड़ पाते हैं |
फिर भी जीवन के संग को ,
छोड़ कर भी हम क्यों नहीं तोड़ पाते हैं ||
By Vijay Kumar (Admin)
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