कविता - ये रंग-बिरंगी तितलियां
Poem - Ye Rang Birangi Titliya
ये रंग-बिरंगी तितलियां,
सुंदर सुंदर तितलियां |
रंग रंग के पुष्प में ,
ये बैठी मिलती है |
वाटिका में घूम घूम कर ,
यह सबके मन को मोह लेती है|
ये रंग-बिरंगी तितलियां ,
सुंदर सुंदर तितलियां |
यह सुंदर वाटिका में रहती है ,
जहां सुगंधित हवा बहती है |
प्रकृति ने इनको क्या खूब बनाया ,
जिससे यह सबके मन को भाया |
ये रंग-बिरंगी तितलियां ,
सुंदर सुंदर तितलियां |
देख कभी मैं , रुक जाता हू ,
पास जब तितली आती है |
कभी देखूं तो छिप जाऊ ,
छिपकर उसको पास बुलाऊ |
ये मन से मै दोहराता हू ,
कास मै बन जाऊ |
उसके जैसा, सुन्दर और रंग-बिरंगा ,
पंख लगे और उड़ जाऊ |
ये रंग-बिरंगी तितलियां ,
सुंदर सुंदर तितलियां |
By - Vijay Kumar
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