जब मैंने देखा इस संसार को
जब मैंने देखा इस संसार को ,
जग कर रहा है पीछा इस वैभव का |
वो नर हो या नारी ,
ये दुनिया कैसी हमारी -२ ||
इस सुख कि आड़ पर,
न चैन है न सांत्वना |
बस सब पर है एक मायूसी ,
अब ये अपनों से भी करते है कंजूसी ||
दुनिया में अब ऐसे भी है लोग ,
वैभव के चक्कर में ,
मौत से भी लेते है टक्कर |
जीवन के हर एक एक पग पर,
बैठे है इतने ठग ,
कि इनसे बच न पाया जग ||
जब मैंने देखा इस संसार को ,
जग कर रहा है पीछा इस वैभव का |
वो नर हो या नारी ,
ये दुनिया कैसी हमारी -२ |-VijayKumar
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