IMF
International Monetary Fund
(अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष)
IMF के बारे में - (सारांश)
Full form of IMF
आई एम एफ की स्थापना ब्रिटेन वुड्स कॉन्फ्रेंस (Bretton Woods Conference )1944 की बैठक में हुई थी जिसमें कुल 44 देशों ने भाग लिया इन 44 देशों में भारत भी था , यदि हम बात करें भारत की सदस्यता की तो भारत 1945 में ही IMF का सदस्य बना जब IMF की स्थापना हुई |
स्थापना - 27 दिसंबर 1945 (वाशिंगटन डी सी)
आईएमएफ को तीन भागों में बांटा गया है
- बोर्ड ऑफ गवर्नर्स
- कार्यकारी बोर्ड
- प्रबंध निदेशक
IMF वित्तीय शाखा है जो सभी देशों को धन देता है तथा इसका मकसद पूरे विश्व में औद्योगिक क्षेत्र में सुधार करना तकनीकी को बढ़ावा देना है IMF की एक शाखा विश्व बैंक है जो सभी देशों को ऋण प्रदान करता है ताकि उस देश का विकास हो सके IMF की शुरुआत द्वितीय विश्व के बाद हुई जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व की अर्थव्यवस्था को को मजबूत करना तथा औद्योगिक क्रांति पैदा करना व आयात निर्यात को बढ़ावा देना व देश में हो रही वित्त समस्या को दूर करना था |
IMF का मुख्यालय व प्रबंध निदेशक
आई॰ एम॰ एफ॰ का मुख्यालय वाशिंगटन डी॰ सी॰ (संयुक्त राज्य अमेरिका) में है तथा इस संगठन के प्रबंध निदेशक क्रिस्टन लेगार्ड(Christine Lagarde) है जो 5 जुलाई 2011 को आई॰ एम॰ एफ॰ की प्रबंध निदेशक बनी जो वर्तमान में भी आई॰ एम॰ एफ ॰ की प्रबंध निदेशक है जो कि फ्रांस से हैं , यह एक राजनीतिक एवं वकील व वित्त मंत्री हैं |
IMF के कुल सदस्य देश
आई एम एफ में कुल 188 सदस्य देश हैं अभी कुछ समय पहले 2012 में साउथ सूडान शामिल हो गया जिससे कुल सदस्य देश 189 हो गए कोई
देश IMF का हिस्सा बनने के लिए आवेदन कर सकता है।
कोई देश IMF से कैसे लेता है लोन
यदि कोई देश IMF से लोन लेना चाहता है तो उसे IMF का सदस्य होना जरूरी होता है यदि वह IMF का सदस्य नहीं है तो उसे लोन नहीं दिया जाता है , ना ही वह IMF से लोन ले सकता है और ना ही वह वर्ल्ड बैंक से लोन ले सकता है | क्योंकि यदि आप IMF से सदस्यता त्याग देते हैं तो स्वचालित रूप से आपको वर्ल्ड बैंक की सदस्यता से भी हटा दिया जाता है , यदि आप IMF की सदस्यता लेते हैं तो आपको स्वचालित रूप से वर्ल्ड बैंक के सदस्य भी बन जाते हैं
किसको लोन देता है IMF
IMF उन देशों को लोन देता है जो किसी गरीबी या बीमारियों तथा अनेक आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे है , उसके समाधान के लिए IMF उस देश को लोन देता है जबकि वर्ल्ड बैंक विकासशील देशों को लोन देता है और इसका उद्देश्य औद्योगिक क्रांति का विकास करना होता है ना कि गरीबी को दूर करना व देश की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए इसका ज्यादा योगदान नहीं होता | IMF गरीबी को कम करना व रोजगार को बढ़ावा देता है तथा आर्थिक संकट से जूझ रहे देश को मदद करता है |
IMF की मुद्रा
IMF की मुद्रा SDR है जिसका पूरा नाम Special Drawing Rights (विशेष आहरण अधिकार) है जिसको पेपर गोल्ड भी कहते हैं , सबसे ज्यादा मुद्रा IMF में अमेरिका द्वारा दिया गया है जिससे सबसे अधिक कोटा भी अमेरिका का है जो कि लगभग 17 % है जो सभी देशों में सबसे अधिक हिस्सा है |
1970 के पहले तक SDR की गणना $ से की जाती थी जहा 1SDR = $1 था तथा $1 का मतलब 0.88 ग्राम स्वर्ण से था यानी आपके पास $1 है तो आपके पास 0.88 ग्राम स्वर्ण है और 0.88 ग्राम स्वर्ण का मतलब आपके पास $1 है |
इसका बहुत दुरुपयोग हुआ और अमेरिका सरकार बहुत नुकशान उठाना पड़ा |
जिससे SDR की वैल्यू मार्केट रेट पर छोड़ दी गई SDR की गणना 5 देशों की मुद्राओं से की जाती है इसमें डॉलर, यूरो ,पौंड ,येन और युआन मुद्रा है मार्केट रेट के अनुसार SDR का मान बढ़ता और घटता रहता है |
कुछ समय पहले SDR की गणना 4 देशों की मुद्राओं से की जाती थी लेकिन 2016 में चाइना की मुद्रा (युआन) को भी आईएमएफ में जोड़ दिया गया |
Report 2015 GlobalResearch |
IMF में भारत का - कोटा व रिपोर्ट
IMF में जो देश सबसे अधिक इन्वेस्टमेंट करता है उसका कोटा सबसे अधिक होता है
IMF में सबसे अधिक कोटा अमेरिका का है जो की १७ % है जहा भारत का IMF में कोटा २.७६ % है जो की आठवे पायदान में है |
भारत की रिपोर्ट IMF द्वारा जारी
Download Report - Country Report No. 18/254
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