राजनीति वाला आरक्षण | गरीब सवर्णों के लिए 10 %आरक्षण

January 30, 2019

राजनीति वाला आरक्षण


सकपकाई मोदी सरकार ने चुनाव के दौरान बिना किसी सोच-विचार व रिसर्च के गरीब सवर्णों के लिए 10 % आरक्षण लागू कर दिया | जहां वर्तमान में 50 % आरक्षण था सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि 50 % से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता फिर भी मोदी सरकार ने 10 % आरक्षण और दे दिया जो कि 60 % आरक्षण हो गया आरक्षण आर्थिक आधार के नाम पर दिया गया है जिसकी सालाना वेतन ₹800000 से कम है उन्हें गरीब की श्रेणी में रखा गया है मतलब यदि आप की मासिक आय ₹60000 है तो आप गरीब हैं |

अब यह बात आती है कि आरक्षण की बुनियाद जातिगत क्यों रखी गई थी आर्थिक क्यों नहीं रखी गई थी , उसके पहले जानना होगा
आरक्षण क्या है ,
क्या आरक्षण गरीबी को दूर करने का हथियार है ,
क्या समाज को आरक्षण की जरूरत है ,
सही मायने में आरक्षण का क्या मतलब है ,
इससे समाज को फायदा होगा या नुकसान इन बातों को जानना बहुत जरूरी है|
यदि आप इन बातों को नहीं जानते हो तो आप सब के साथ आरक्षण वाली राजनीति खेली जा रही है |
myargument
जहां सवर्ण - "आरक्षण हटाओ , देश बचाओ’’ के नारे लगा रहे थे | वही 10 % आरक्षण पर उछल कूद रहे हैं पर उन्हें यह पता नहीं उनके साथ राजनीति खेली जा रही है सवर्ण व निम्न वर्गीय समाज दोनों के लिए एक खतरा पैदा कर सकता है | राजनीति के नाम पर आजकल की सरकारों ने शिक्षा व सामाजिक राजनीति खेल रही है जो राजनीति धर्म ,जाति के आधार पर राजनीति की जा रही है|


सबसे पहले हम बात करेंगे कि

आरक्षण क्या है व आरक्षण जातिगत क्यों है



आरक्षण कोई गरीबी को दूर करने का हथियार नहीं है ना ही इससे गरीबी दूर हो सकती है यदि आरक्षण गरीबी को दूर करने का हथियार होता तो आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जा सकता था लेकिन इसके दुरुपयोग बहुत होते जैसे इस देश में गरीबी का कारण गरीब जनता नहीं बल्कि हमारी नाकाम व्यवस्था है अगर आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाता तो सरकार शिक्षा व अन्य सामाजिक कार्यों में कोई सुधार ना करती बल्कि वह गरीब को केवल आरक्षण देती , सामाजिक दशा सुधार के  नाम पर व सामाजिक व्यवस्था यूं ही नाकाम रहती व समाज दो वर्गों में बट जाता - एक गरीब व एक अमीर जो एक दूसरे की घोर विरोधक होते |
जबकि  आरक्षण का मकसद तो सामाजिक असमानता को दूर करना था यह  आरक्षण जातिगत आधार पर दिया गया इसका मुख्य कारण यह था कि  जिन्हें जातीय आधार पर सदियों से दबाया गया था वह समाज में स्वाभिमान के साथ जी सके  व सामाजिक भेदभाव छुआछूत जात-पात जैसी असमानता से दूर हो सकते हैं परंतु सरकार की नाकामी की वजह से या काम वह 10 सालों में पूरा नहीं कर सकी  व आरक्षण की अवधि को बढ़ाना पड़ा आरक्षण की स्थिति आज जहां OBC, SC , व ST अपना ही कोटा पूरा नहीं कर पा रहा है
वहां सामान्य वर्ग के लिए 10 % आरक्षण लागू कर दिया गया  | जिनका सरकारी नौकरी में 85% कब्जा है ,अगर हम बात करें OBC की तो उनकी  50 % आबादी है फिर भी उनका सरकारी नौकरी 15 % भी हिस्सेदारी नहीं है या सामाजिक समानता है या नहीं इस बात को समझना होगा यह सोचने वाली बात है कि अगर जातिगत आरक्षण ना दिया जाता तो कभी दलित व निम्न वर्ग के समाज को आज भी उसकी स्थिति बद से बदतर होती निम्न वर्ग को आरक्षण दिया गया था कि वह स्कूल , कॉलेज में जा सके वहां बैठ सके उनकी सीट को रिजर्व  किया गया | इतनी बड़ी सामाजिक असमानता के कारण शायद जो कभी समाज का बदलाव ना हो पाता |

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