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संत रविदास ( रैदास ) की 642 वां जयंती | 642th Jayanti of Saint Ravidas (Raidas) - 2019

February 19, 2019 Add Comment

संत रविदास ( रैदास ) की 642 वां जयंती  642th Jayanti of Saint Ravidas (Raidas) - 2019

संत रविदास ( रैदास ) जयंती 2019 #myargument

संत रविदास ( रैदास ) जयंती 2019


संत रविदास ( रैदास ) जयंती हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार - माघ महीने की पूर्णिमा पर मनाई जाती है यानी आज 19 फरवरी ( मंगलवार ) को रविदास जयंती है |
यह रविदास की 642 वां जयंती  है | जो प्रत्येक वर्ष उनके जन्मदिन पर मनाई जाती है |
संत रविदास का जन्म 1450 ईस्वी में वाराणसी के पास एक छोटे से गांव में हुआ |
संत रविदास हमारे भारत में महान संतों में से एक हैं जिन्होंने अपने विचार एवं दिव्य ज्ञान से समाज में  एक नई सोच जागृत की यह उच - नीच के विरोधक थे यह सब को समान मानते थे समाज में फैली अनेक बुराइयों के खिलाफ इन्होंने आवाज खड़ी की | अपने विचारों तथा दोहों से लोगों को प्रभावित किया और एक महान संत व दार्शनिक बन गए | 
संत रविदास भक्तिकाल समय के प्रमुख संतों में से एक हैं | मीराबाई संत रविदास की  शिष्या थी |

संत रविदास का जीवन परिचय


गुरू रविदास (रैदास) जी का जन्म वाराणसी के काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1433 या 1450 ईस्वी  को हुआ था।



राजनीति वाला आरक्षण | गरीब सवर्णों के लिए 10 %आरक्षण

January 30, 2019 Add Comment

राजनीति वाला आरक्षण


सकपकाई मोदी सरकार ने चुनाव के दौरान बिना किसी सोच-विचार व रिसर्च के गरीब सवर्णों के लिए 10 % आरक्षण लागू कर दिया | जहां वर्तमान में 50 % आरक्षण था सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि 50 % से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता फिर भी मोदी सरकार ने 10 % आरक्षण और दे दिया जो कि 60 % आरक्षण हो गया आरक्षण आर्थिक आधार के नाम पर दिया गया है जिसकी सालाना वेतन ₹800000 से कम है उन्हें गरीब की श्रेणी में रखा गया है मतलब यदि आप की मासिक आय ₹60000 है तो आप गरीब हैं |

अब यह बात आती है कि आरक्षण की बुनियाद जातिगत क्यों रखी गई थी आर्थिक क्यों नहीं रखी गई थी , उसके पहले जानना होगा
आरक्षण क्या है ,
क्या आरक्षण गरीबी को दूर करने का हथियार है ,
क्या समाज को आरक्षण की जरूरत है ,
सही मायने में आरक्षण का क्या मतलब है ,
इससे समाज को फायदा होगा या नुकसान इन बातों को जानना बहुत जरूरी है|
यदि आप इन बातों को नहीं जानते हो तो आप सब के साथ आरक्षण वाली राजनीति खेली जा रही है |
myargument
जहां सवर्ण - "आरक्षण हटाओ , देश बचाओ’’ के नारे लगा रहे थे | वही 10 % आरक्षण पर उछल कूद रहे हैं पर उन्हें यह पता नहीं उनके साथ राजनीति खेली जा रही है सवर्ण व निम्न वर्गीय समाज दोनों के लिए एक खतरा पैदा कर सकता है | राजनीति के नाम पर आजकल की सरकारों ने शिक्षा व सामाजिक राजनीति खेल रही है जो राजनीति धर्म ,जाति के आधार पर राजनीति की जा रही है|


सबसे पहले हम बात करेंगे कि

आरक्षण क्या है व आरक्षण जातिगत क्यों है



आरक्षण कोई गरीबी को दूर करने का हथियार नहीं है ना ही इससे गरीबी दूर हो सकती है यदि आरक्षण गरीबी को दूर करने का हथियार होता तो आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जा सकता था लेकिन इसके दुरुपयोग बहुत होते जैसे इस देश में गरीबी का कारण गरीब जनता नहीं बल्कि हमारी नाकाम व्यवस्था है अगर आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाता तो सरकार शिक्षा व अन्य सामाजिक कार्यों में कोई सुधार ना करती बल्कि वह गरीब को केवल आरक्षण देती , सामाजिक दशा सुधार के  नाम पर व सामाजिक व्यवस्था यूं ही नाकाम रहती व समाज दो वर्गों में बट जाता - एक गरीब व एक अमीर जो एक दूसरे की घोर विरोधक होते |
जबकि  आरक्षण का मकसद तो सामाजिक असमानता को दूर करना था यह  आरक्षण जातिगत आधार पर दिया गया इसका मुख्य कारण यह था कि  जिन्हें जातीय आधार पर सदियों से दबाया गया था वह समाज में स्वाभिमान के साथ जी सके  व सामाजिक भेदभाव छुआछूत जात-पात जैसी असमानता से दूर हो सकते हैं परंतु सरकार की नाकामी की वजह से या काम वह 10 सालों में पूरा नहीं कर सकी  व आरक्षण की अवधि को बढ़ाना पड़ा आरक्षण की स्थिति आज जहां OBC, SC , व ST अपना ही कोटा पूरा नहीं कर पा रहा है
वहां सामान्य वर्ग के लिए 10 % आरक्षण लागू कर दिया गया  | जिनका सरकारी नौकरी में 85% कब्जा है ,अगर हम बात करें OBC की तो उनकी  50 % आबादी है फिर भी उनका सरकारी नौकरी 15 % भी हिस्सेदारी नहीं है या सामाजिक समानता है या नहीं इस बात को समझना होगा यह सोचने वाली बात है कि अगर जातिगत आरक्षण ना दिया जाता तो कभी दलित व निम्न वर्ग के समाज को आज भी उसकी स्थिति बद से बदतर होती निम्न वर्ग को आरक्षण दिया गया था कि वह स्कूल , कॉलेज में जा सके वहां बैठ सके उनकी सीट को रिजर्व  किया गया | इतनी बड़ी सामाजिक असमानता के कारण शायद जो कभी समाज का बदलाव ना हो पाता |

Continue………….

26 January Republic Day Speech In Hindi 2019 | 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर भाषण 2019

January 25, 2019 Add Comment

26 January Republic Day Speech In Hindi 2019 || 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर भाषण 2019 ||


myargument

हेलो .. दोस्तो ! My Argument की तरफ से गणतंत्र दिवस के 70 वें  वर्षगांठ में आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.......





26 जनवरी 1950 यह वह दिन था,  जिसके लिये हमारा देश , हमारा समाज सदियों से संघर्ष कर रहा था वह स्वतंत्रता , वह आजादी हमें शायद हजारों वर्षों बाद मिली थी | वैसे राजनीतिक लड़ाई यूं तो बहुत लड़ी गई पर जो यह 1900 से 1950 के बीच का दौर था , तब मुझे लगता है , सबसे बड़ी सामाजिक लड़ाई लड़ी गई , यह वह दौर था जब राजनीतिक व सामाजिक लड़ाइयां दोनों एक साथ लड़ी गई ,शायद इसी इतनी बड़ी सामाजिक लड़ाई के बाद हमारा एक विशाल देश  बन पाया जो  इतनी सारी विविधताओं से भरा है , एक पल के लिए जहां लोग भूल जाते हैं , कि हम सच में ‘हम एक ही देश के वासी हैं ‘भारतीय संविधान ने इतने बड़े विशाल विविधताओं से भरे देश को एकता के सूत्र में बांध दिया है | आज 26 जनवरी का दिन भारतीयों के लिए खास नहीं बल्कि बहुत खास है , क्योंकि  इस भारत देश को एकता के सूत्र में बांधने वाला व देश का सर्वश्रेष्ठ विशाल लोकतंत्र स्थापित करने वाला भारत का संविधान लागू हुआ था भारत देश पूरे विश्व में एक सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक देश है | यह हमारे देश के लिए गरिमा की बात है , जो हमारे संविधान को एक स्वर्णिम गौरव स्थान प्रदान करता है |
आपकी पहचान है देश का संविधान

हमारे देश में  संविधान में सारे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांध रखा है आज भारतीयो के लिए एक विशेष दिन है आज हमें अपने संविधान को जानना होगा |  
संविधान में सबसे पहले प्रस्तावना लिखी है , इसका पहला वाक्य है “हम भारत के लोग” दोस्तों या केवल एक वाक्य नहीं बल्कि यह हमारी पहचान बताता है कि भारत में रहने वाला हर एक नागरिक भारतीय और उसे अपनी भारतीयता पर गर्व करना चाहिए जैसा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भी कहा था “हम पहले भी भारतीय  हैं और बाद में भी भारतीय हैं '' हम भारतीय होने में गर्व करते हैं ना कि हिंदू या मुसलमान होने पर |


यदि आप अपने आप को एक सर्वश्रेष्ठ देशभक्त कहते हैं तो आपको सबसे पहले भारतीय  और बाद में हिंदू या मुसलमान नहीं बल्कि बाद में भी भारतीय बनना पड़ेगा आप देश के सच्चे देशभक्त कहलाते हैं जब  आप अपने आपको भारतीय होने पर गर्व करते हैं यह भारतीयता हमें पूरे देश से जोड़ देती है चाहे वह किसी धर्म जाति या किसी अन्य समुदाय का ही क्यों ना हो
हमें एक सच्चे देशभक्त होने के नाते हमें अपने संविधान को समझना होगा - क्या संविधान कहता है आपके बारे में , कितना सोचा है आपने राष्ट्र के नागरिकों की के बारे में , जितना कि एक भारतीय नागरिक ने  शायद ना सोचा हो


आज हमें हमारे संविधान में वर्णित मूल कर्तव्यमूल अधिकारों को समझना होगा कि यदि आप एक भारतीय हो तो आप को क्या  अधिकार हैं |
क्या संविधान में वर्णित इन अधिकारों को आप जानते हैं

संविधान द्वारा मूल रूप से सात मूल अधिकार प्रदान किए गए थे-
समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार |

यदि आप देश के नागरिक हो तो आपका क्या कर्तव्य होना चाहिए आपको इन मौलिक कर्तव्यों को जानना होगा | भारतीय नागरिक होने के नाते क्या आप उन मौलिक कर्तव्यों को जानते हैं जो पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधे रखने का काम करते हैं |

संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्य

  1. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें |
  2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें |
  3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें |
  4. देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें |
  5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है |
  6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परीक्षण करें |
  7. प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन झील नदी और वन्य जीव  है उनकी रक्षा और संवर्ध्दन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें|
  8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण,  मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें |
  9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे |
  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में  उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि  की नई ऊंचाइयों को छू ले |
  11. अभिभावकों का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर दें |



भीम कारवाँ जिस मानसिकता से लड़ रहा है,कहीं आप भी उसी मानसिकता के साथ तो नहीं

December 26, 2018 Add Comment

भीम कारवाँ  जिस  मानसिकता से लड़ रहा है,कहीं आप भी उसी मानसिकता के साथ तो नहीं



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भीम कारवाँ से जुड़े 90% लोग एक सच्चे सिपाही नहीं है ,

भीम कारवाँ  जिस मानसिकता से लड़ रहा है,कहीं आप भी उसी मानसिकता के साथ तो नहीं ...


दोस्तों इस पोस्ट को पूरा पढ़े और अपने आप की जांच करें , आपकी दृष्टिकोण कहीं भीमराव अंबेडकर की दृष्टिकोण से अलग तो नहीं -

अगर मैं आपसे  कहूं कि हिंदू धर्म के ठेकेदार धर्म के रक्षक नहीं बल्कि धर्म के भक्षक  हैं जिन्होंने धर्म की परिभाषा ही बदल दी है तो शायद आप कहेंगे कहीं हद तक सही है , शायद आप इससे अनजान नहीं है कि धर्म के नाम पर कितनी लूट चल रही है |
दोस्तों अगर मैं कहूं कि यहीं स्थित हर जगह हो गई है चाहे वह कोई भी धर्म या समुदाय ही क्यों ना हो हर जगह बस अपने आपको बड़ा व ऊंचा दिखाने की होड़ में एक नई मानसिकता को जन्म दे रहे हैं जो आपकी दृष्टिकोण को बदल रहा है |
दृष्टिकोण का , व्यक्ति के जीवन में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है |
माना आप किसी व्यक्ति की वेशभूषा या जाति अन्य के आधार से देखते हैं तो यह आपका नजरिया है और आगे चलकर आपका यही नजरिया उसकी एक पहचान आपके अचेतक मन में आ जाएगी  , आपको यकीन हो जाएगा कि इस समुदाय , जाति,धर्म की व्यक्तियों की वेदभूषा ऐसी होती है या फिर ये ऐसे लोग होते हैं |
आपका दृष्टिकोण समदृष्टा नहीं रहेगा |
यहां समदृष्टा का मतलब आपका नजरिया सबके लिए बराबर होना चाहिए ना कोई ऊंचा और ना ही कोई नीचा है सभी आपके लिए समान है , चाहे वह किसी जाति , धर्म या किसी अन्य समुदाय का ही क्यों ना हो |

कुछ  लोगों का मानना है कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर अपने समुदाय और जाति के अधिकार व सम्मान को दिलाने की लड़ाई लड़ रहे थे परंतु वे अंग्रेजों से नहीं लड़ रहे थे वह एक समुदाय को लेकर आगे बढ़ में`रहे थे और कहीं हद तक उस समुदाय के लोग भी ऐसा मानते हैं यही कारण है कि उनमें यह संप्रदायवाद भावना का जन्म हो गया डॉ भीमराव अंबेडकर की दृष्टिकोण से उस समुदाय के बहुत से लोगों की दृष्टिकोण डॉक्टर बी आर अंबेडकर की दृष्टिकोण के विपरीत हो गई

समुदाय के लोगों ने अनजाने में फिर उस मानसिकता को विकसित करने लगे जिस मानसिकता से अंबेडकर लड़ रहे थे |

आप की लड़ाई किससे है - जाति से या जातिवाद से...
डॉ भीमराव अंबेडकर एक सच्चे देशभक्त थे | अनेक लोगों ने उनका अपमान किया यहां तक की एक प्रोफेसर के रूप में उन्हें विद्यार्थी चपरासी से अपमान सहना पड़ा  , पर उन्होंने समाज या किसी जाति विशेष से लड़ना नहीं शुरू किया बल्कि अंबेडकर उन मानसिकता से लड़ना चाहते थे जो समाज को चोटिल कर रही थी उसे आगे बढ़ने से रोक रही थी |
यदि  आप अपने आप को जाती , धर्म या समुदाय के आधार पर ऊंचा समझते हैं तो एक मानसिकता तथा अपने आप को नीचा समझते हैं तो वह एक मानसिकता ही होगी | ऐसी बुरी मानसिकता समाज व देश को बहुत पीछे कर देती तथा संप्रदायवाद  विचारधारा को जन्म देती है जो समाज में बुराइयों और दंगे - फसाद को जन्म देती है |

आंबेडकर और आप की विचारधारा में क्या फर्क है आज  इस बात को समझाना होगा - वो एक महान राजनीतिज्ञ , अर्थ-शास्त्री थे | जिन्हें ये पता था की  हमारे देश में सामाजिक असमानता है | यही कारण है कि अंग्रेज उनका फायदा उठा रहे हैं हमें सबसे पहले सामाजिक लड़ाई लड़नी होगी यही कारण है कि उनकी लड़ाई छुआछूत , अंधविश्वास , जात-पात , धर्म में व्याप्त बुराइयों से थी | उनकी लड़ाई जातियों से नहीं जातिवाद से  थी उन्हें पता था हर बार लड़ाइयां सत्ता के लिए होती रही है| सबसे पहले लड़ाई आर्यों से , फिर मुगलों से , फिर यूनानीओं से , फिर फ्रांसीसी , डचो व फिर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी गई और वो भी केवल सत्ता के लिए और शोषण समाज का होता रहा , ऐसी आजादी किस काम की जहां अनेक प्रकार की सामाजिक बुराइयां फैली हो जो उन्हें मानसिक रूप से गुलाम बनाए हुए है | उन्हें पता था यदि ये सामाजिक बुराइयां खत्म कर दिया तो देश में कोई कब्ज़ा  नहीं कर पाएगा | हम अपनी एकता को तोड़ते हैं यदि हमारी लड़ाई किसी जाति धर्म या किसी समुदाय से हो जाती है |बाबासाहेब ने संविधान की प्रस्तावना में साफ-साफ पहला वाक्य लिखा है कि - ‘हम भारत के लोग’......... और हमें इस बात को समझना होगा कि भारत में रहने वाला हर एक नागरिक भारतीय है |और हमारी पहचान किसी समुदाय जाति या धर्म से नहीं बल्कि देश से जुड़ी है |
अंबेडकर कहते थे - वह पहले भी भारतीय  है , और बाद में भी भारतीय है | वह यह नहीं कहते थे कि - वह पहले भारतीय है , फिर हिंदू या बौद्धदिष्ट है |
दोस्तों यहां समझने वाली बात यह है कि हमें किसी समुदाय या किसी जाति को लेकर आगे नहीं बढ़ना है बल्कि देश को आगे लेकर बढ़ना है आपकी लड़ाई किसी समुदाय , धर्म को लेकर नहीं होनी चाहिए बल्कि उस मानसिकता से होनी चाहिए जो समाज की पतन के मार्ग में ले जा रही है |
यदि आप लोगों को वेशभूषा या जाति के आधार पर बांट रहे हो तो आप एक सच्चे देशभक्त नहीं हो सकते |
आज हमारी लड़ाई छुआछूत , जातिपात ,अंधविश्वास , रूढ़िवादी परंपराओं और अशिक्षा से है , न कि किसी जाति , धर्म या व्यक्ति विशेष से |
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